गुजरात में गिर राष्ट्रीय उद्यान में शेरों की गिनती बढ़ी

गुजरात में गिर राष्ट्रीय उद्यान में शेरों की गिनती बढ़ी

गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान में एशियाई शेरों की संख्या में एक बड़ी वृद्धि हुई है, जिससे इस क्षेत्र में शेरों के संरक्षण में निरंतर सफलता का संकेत मिलता है। गुजरात में गिर राष्ट्रीय उद्यान में शेरों की गिनती बढ़ी है। यह उद्यान दुनिया का एकमात्र स्थान है जहाँ एशियाई शेरों का प्राकृतिक निवास स्थान है, और हाल के आंकड़ों के अनुसार, शेरों की संख्या अब 700 के पार पहुंच चुकी है। यह वृद्धि पिछले कुछ वर्षों में किए गए संरक्षण प्रयासों के प्रभाव को स्पष्ट रूप से दिखाती है।

शेरों की संख्या में वृद्धि
गुजरात सरकार द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में गिर क्षेत्र में शेरों की संख्या 700 से अधिक पाई गई है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले करीब 30% की वृद्धि दर्शाती है। यह आंकड़ा गिर वन में शेरों के संरक्षण के क्षेत्र में बड़ी सफलता का प्रतीक है। इस संख्या में वृद्धि का मुख्य कारण शेरों के आवास की सुरक्षा, उनका स्थिर आहार, और बढ़ती संख्या के साथ-साथ उनकी प्राकृतिक सीमाओं के भीतर सुरक्षित रूप से घूमने की आज़ादी है।

पिछले एक दशक में, गिर उद्यान में शेरों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी गई है। 2010 में शेरों की संख्या केवल 411 थी, जो 2024 में बढ़कर 700 से ऊपर पहुंच गई है, जो शेरों की बढ़ती संख्या और संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।

संरक्षण प्रयास और उपाय
गिर राष्ट्रीय उद्यान में शेरों की बढ़ती संख्या को बनाए रखने के लिए कई प्रभावी और सख्त कदम उठाए गए हैं। प्रशासन ने शेरों के लिए उनके प्राकृतिक आवास का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयास किए हैं। इसके अंतर्गत वन्यजीवों के लिए सुरक्षित मार्गों की पहचान और उन्हें संरक्षित करने के लिए संरक्षक दलों की तैनाती की गई है।

इसके अलावा, शेरों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए विशेष निगरानी प्रणाली विकसित की गई है। वन अधिकारियों द्वारा ड्रोन और कैमरा ट्रैप का उपयोग कर शेरों की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है, जिससे उनके स्वास्थ्य और स्थिति के बारे में लगातार अपडेट मिलते रहते हैं।

स्थानीय समुदायों का योगदान
गिर राष्ट्रीय उद्यान के आसपास के स्थानीय समुदायों का भी शेरों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इन समुदायों ने शेरों के साथ सह-अस्तित्व के लिए अपनी ज़िंदगी को अनुकूलित किया है। वे शेरों के साथ-साथ पर्यावरण और वन्यजीवों की रक्षा में सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं।

इन प्रयासों के चलते, गिर क्षेत्र में शेरों के साथ कोई बड़ी घटनाएं या मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं कम हुई हैं। स्थानीय ग्रामीणों और पर्यटन उद्योग के बीच सामूहिक प्रयासों से शेरों के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित हुआ है। प्रशासन और स्थानीय समुदाय मिलकर शेरों के लिए नुकसानदेह गतिविधियों को नियंत्रित कर रहे हैं, जैसे अव्यवस्थित निर्माण, शिकार, और वन्यजीवों के शिकार पर अंकुश लगाना।

पर्यटन और शेरों के लिए लाभ
गिर राष्ट्रीय उद्यान का पर्यटन क्षेत्र भी शेरों की संख्या में वृद्धि के साथ बढ़ा है। शेरों के दर्शन के लिए पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ हो रहा है। हालांकि, प्रशासन ने शेरों के आवास में किसी भी प्रकार की असुविधा या तनाव से बचने के लिए पर्यटकों की संख्या और आवाजाही पर नियंत्रण बनाए रखा है।

पर्यटकों को शेरों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक व्यवहार के बारे में जागरूक करने के लिए कई शैक्षिक कार्यक्रम चलाए गए हैं। साथ ही, प्रशासन ने पर्यटकों के लिए एक कोड ऑफ कंडक्ट तैयार किया है, जिसमें उन्हें शेरों के आवास क्षेत्र में शांति बनाए रखने, और शेरों से दूर रहने की सलाह दी जाती है।

आगे की दिशा
गिर क्षेत्र में शेरों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, लेकिन इसके बावजूद शेरों के लिए सुरक्षित आवास की और आवश्यकता महसूस हो रही है। प्रशासन अब शेरों के संरक्षण के साथ-साथ उनके आवास क्षेत्र का विस्तार करने की दिशा में काम कर रहा है।

इसके लिए, गिर क्षेत्र से बाहर के अन्य उपयुक्त क्षेत्रों की पहचान की जा रही है, ताकि शेरों को नए और सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जा सके। इसके अलावा, शेरों के लिए एक सुरक्षित “कोर” क्षेत्र बनाने की योजना है, जिसमें शिकार, जल स्रोत और अन्य संसाधनों की उपलब्धता हो, ताकि वे अपने प्राकृतिक परिवेश में पूरी तरह से विकसित हो सकें।

निष्कर्ष
गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान में शेरों की संख्या में वृद्धि भारतीय वन्यजीव संरक्षण की एक सफलता है। इस सफलता का श्रेय शेरों के प्राकृतिक आवास के संरक्षण, स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी, और निरंतर निगरानी प्रणालियों को जाता है। यह पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीवों के लिए एक सकारात्मक दिशा में एक कदम और आगे बढ़ने का उदाहरण है, जो न केवल भारत के लिए गर्व का विषय है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शेरों के संरक्षण के प्रयासों को प्रेरित करता है।

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