परिचय
भारत में लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा के लिए भारत सरकार ने हाल ही में लुप्तप्राय प्रजातियों और पर्यावरण संरक्षण के लिए नई योजनाओं की घोषणा की है। देश की जैव विविधता को संरक्षित करने और वन्यजीवों के प्राकृतिक आवासों को सुरक्षित करने के उद्देश्य से ये योजनाएं बनाई गई हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह पहल देश में वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, खासकर उन प्रजातियों के लिए जो विलुप्त होने की कगार पर हैं।
टाइगर रिज़र्व में सुरक्षा बढ़ोतरी
टाइगर रिज़र्वों में पाई जाने वाली बाघों की घटती संख्या चिंता का कारण बनी हुई है। हाल के सर्वेक्षणों में बाघों की संख्या में गिरावट देखी गई है। सरकार ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए रिज़र्व क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ाने का फैसला किया है। वन अधिकारियों की तैनाती और गश्त बढ़ाने के साथ-साथ वन्यजीवों पर नजर रखने के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग किया जाएगा।
- स्मार्ट पेट्रोलिंग और ड्रोन सर्विलांस
नए सुरक्षा उपायों के तहत ‘स्मार्ट पेट्रोलिंग’ और ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि शिकार और अन्य अवैध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा सके। इससे बाघों और अन्य प्रजातियों के संरक्षण में मदद मिलेगी। - स्थानीय समुदायों की भागीदारी
स्थानीय समुदायों को भी वन्यजीव संरक्षण कार्यक्रमों में शामिल किया जा रहा है। उन्हें जागरूक बनाने के साथ-साथ संरक्षण कार्यों में उनकी सक्रिय भागीदारी बढ़ाने का लक्ष्य है, ताकि शिकार और जंगलों की अवैध कटाई को कम किया जा सके।
गैंडा संरक्षण के लिए असम में विशेष योजना
असम में गैंडों की संख्या को बढ़ाने के लिए सरकार ने एक विशेष संरक्षण योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत, गैंडों के प्राकृतिक आवासों को संरक्षित करने और उनके पुनर्वास पर जोर दिया जाएगा। खासकर काजीरंगा और मानस नेशनल पार्क में गैंडों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा बलों की तैनाती और गश्त बढ़ाई जाएगी।
- पुनर्वास और संरक्षण उपाय
असम में अवैध शिकार के कारण गैंडों की संख्या में गिरावट आई है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार गैंडों के पुनर्वास पर जोर दे रही है। इसके तहत, गैंडों को सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जाएगा, जहां उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित किया गया है। - गैंडा आबादी की निगरानी
वैज्ञानिकों और संरक्षण विशेषज्ञों की टीमों के माध्यम से गैंडों की आबादी की निगरानी की जाएगी। उनकी जनसंख्या वृद्धि और स्वास्थ्य की निगरानी के लिए विशेष बायोमेट्रिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
कछुआ संरक्षण अभियान
भारत के समुद्र तटीय क्षेत्रों में कछुओं की कई दुर्लभ प्रजातियां पाई जाती हैं, जो अब विलुप्त होने की कगार पर हैं। ओडिशा के गहिरमाथा समुद्री तट पर कछुओं के संरक्षण के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है, जो उनकी प्रजनन प्रक्रिया को सुरक्षित रखने में सहायक होगा।
- अंडों की सुरक्षा के लिए ‘नेस्टिंग जोन’
तट पर कछुओं के अंडों को सुरक्षित रखने के लिए विशेष ‘नेस्टिंग जोन’ बनाए गए हैं। यह क्षेत्र संरक्षित किया गया है ताकि शिकारियों और अवैध गतिविधियों से बचाव हो सके। - स्थानीय स्वयंसेवकों की भूमिका
इस कार्यक्रम में स्थानीय मछुआरे और स्वयंसेवकों को भी शामिल किया गया है, ताकि वे कछुओं की सुरक्षा और संरक्षण में योगदान दे सकें। इसके साथ ही, समुद्र तटीय क्षेत्रों में शिकार पर भी सख्ती से रोक लगाई गई है।
विलुप्त हो रही प्रजातियों के लिए ‘जीन बैंक’ की स्थापना
भारत सरकार ने विभिन्न विलुप्त हो रही प्रजातियों के संरक्षण के लिए एक ‘जीन बैंक’ की स्थापना की योजना बनाई है। यह जीन बैंक उन दुर्लभ प्रजातियों के जीन को संरक्षित करेगा, जो भविष्य में संरक्षण प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। इस पहल का उद्देश्य विलुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण में दीर्घकालिक योगदान देना है।
- जीन बैंक का उद्देश्य
जीन बैंक का उद्देश्य है कि सभी लुप्तप्राय प्रजातियों के जीन को संरक्षित किया जाए, ताकि उनकी संख्या बढ़ाई जा सके और भविष्य में उनकी वापसी के प्रयास किए जा सकें। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पहल जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगी। - वैज्ञानिक अनुसंधान का बढ़ावा
जीन बैंक के माध्यम से वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि वन्यजीवों के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त हो सके। इसके साथ ही, यह भविष्य में नई प्रजातियों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
विलुप्तप्राय पक्षियों की रक्षा के लिए कदम
भारत में कई दुर्लभ और विलुप्तप्राय पक्षी प्रजातियों की संख्या में गिरावट आई है। राजस्थान में पाए जाने वाले ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (गोडावण) की संख्या में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है। सरकार ने इसके संरक्षण के लिए राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत इस पक्षी के आवास क्षेत्रों में सुरक्षा उपाय बढ़ाए जा रहे हैं।
- सुरक्षित आवास और प्रजनन के प्रयास
पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का संरक्षण बेहद जरूरी है। उनके आवास क्षेत्रों में सुरक्षित क्षेत्र बनाए जा रहे हैं ताकि इन पक्षियों को प्रजनन के अनुकूल वातावरण मिल सके। - शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम
स्थानीय समुदायों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए शिक्षा कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके तहत, विशेषतौर पर उन क्षेत्रों में, जहां इन पक्षियों का आवास होता है, लोगों को उनके संरक्षण के महत्व के बारे में बताया जा रहा है।
निष्कर्ष
भारत में वन्यजीव और वनस्पतियों की दुर्लभ प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए सरकार की नई योजनाएं एक अहम कदम हैं। ये पहलें न केवल जैव विविधता को संरक्षित करने में सहायक होंगी, बल्कि पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में भी मदद करेंगी। यदि ये कदम सफल रहते हैं, तो आने वाले समय में भारत में वन्यजीवों और प्राकृतिक संपदाओं के संरक्षण में उल्लेखनीय सुधार देखने को मिल सकता है।